रेल सफ़र में हर ग्राहक, को मित्र बनाते जायेंगे.
रक्षा में उनकी संरक्षा, हम अपनाते जायेंगे..
अगर उन्हें कुछ मुश्किल होगी, उचित राह दिखलायेंगे.
अपनी कुशल कार्य-शैली से, उनका काम कराएँगे..
प्यार बांटते जायेंगे, ना कभी क्रोध में आयेंगे.
वाणी के अति मधुर ढंग से, अपना उन्हें बनायेंगे..
रक्षा में उनकी संरक्षा.......................................
सच्चा रेल-मित्र होने का, पूरा धर्म निभाएंगे.
अपने पाक-साफ़ दामन पर, दाग नहीं लगने देंगे ..
पारदर्शिता रखकर के हम, सदा काम करवाएंगे .
हर यात्री को सही सलामत, मंजिल तक पहुचायेंगे ..
रक्षा में उनकी संरक्षा......................................
आओ मिलकर करें प्रतिज्ञा, कभी न आलस लायेंगे .
नींद, नशा, लापरवाही के, व्यसन गले न लगायेंगे ..
काम करेंगे दृढ़ता से, दुर्घटना दूर भगायेंगे .
अच्छा काम करेंगे तो, दुनियां के लोग सराहेंगे ..
रक्षा में उनकी संरक्षा.......................................
दुनियां मानेगी ''लोहा'', हम ऐसा बन दिखलायेंगे .
रेल हमारी हम हैं इसके, ये आभास कराएँगे ..
चक्का चलता रहे सदा, न कोई रुकावट लायेंगे .
सकल विश्व में सफल रेल का, परचम हम लहरायेंगे ..
रक्षा में उनकी संरक्षा.........................................
"संरक्षा दर्शन के अंक-20 में प्रकाशित"
रक्षा में उनकी संरक्षा, हम अपनाते जायेंगे..
अगर उन्हें कुछ मुश्किल होगी, उचित राह दिखलायेंगे.
अपनी कुशल कार्य-शैली से, उनका काम कराएँगे..
प्यार बांटते जायेंगे, ना कभी क्रोध में आयेंगे.
वाणी के अति मधुर ढंग से, अपना उन्हें बनायेंगे..
रक्षा में उनकी संरक्षा.......................................
सच्चा रेल-मित्र होने का, पूरा धर्म निभाएंगे.
अपने पाक-साफ़ दामन पर, दाग नहीं लगने देंगे ..
पारदर्शिता रखकर के हम, सदा काम करवाएंगे .
हर यात्री को सही सलामत, मंजिल तक पहुचायेंगे ..
रक्षा में उनकी संरक्षा......................................
आओ मिलकर करें प्रतिज्ञा, कभी न आलस लायेंगे .
नींद, नशा, लापरवाही के, व्यसन गले न लगायेंगे ..
काम करेंगे दृढ़ता से, दुर्घटना दूर भगायेंगे .
अच्छा काम करेंगे तो, दुनियां के लोग सराहेंगे ..
रक्षा में उनकी संरक्षा.......................................
दुनियां मानेगी ''लोहा'', हम ऐसा बन दिखलायेंगे .
रेल हमारी हम हैं इसके, ये आभास कराएँगे ..
चक्का चलता रहे सदा, न कोई रुकावट लायेंगे .
सकल विश्व में सफल रेल का, परचम हम लहरायेंगे ..
रक्षा में उनकी संरक्षा.........................................
"संरक्षा दर्शन के अंक-20 में प्रकाशित"
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