Thursday, January 21, 2010

रेल सफ़र

रेल सफ़र में हर ग्राहक, को मित्र बनाते जायेंगे.
रक्षा   में  उनकी  संरक्षा, हम  अपनाते  जायेंगे..
अगर उन्हें कुछ मुश्किल होगी, उचित राह दिखलायेंगे.
अपनी   कुशल  कार्य-शैली  से, उनका   काम कराएँगे..
प्यार   बांटते  जायेंगे,   ना   कभी    क्रोध   में  आयेंगे.
वाणी  के  अति  मधुर  ढंग  से, अपना   उन्हें बनायेंगे..
रक्षा में उनकी संरक्षा.......................................
सच्चा  रेल-मित्र   होने  का,  पूरा धर्म निभाएंगे.
अपने पाक-साफ़ दामन पर, दाग नहीं लगने देंगे ..
पारदर्शिता रखकर  के हम, सदा  काम करवाएंगे .
हर यात्री को सही सलामत, मंजिल तक पहुचायेंगे ..
रक्षा में उनकी संरक्षा......................................
आओ मिलकर करें प्रतिज्ञा, कभी न आलस लायेंगे .
नींद, नशा, लापरवाही के, व्यसन गले न लगायेंगे ..
काम   करेंगे    दृढ़ता  से, दुर्घटना   दूर  भगायेंगे .
अच्छा  काम  करेंगे तो, दुनियां   के लोग सराहेंगे ..
रक्षा में उनकी संरक्षा.......................................
दुनियां मानेगी ''लोहा'', हम ऐसा बन दिखलायेंगे .
रेल  हमारी   हम  हैं   इसके, ये  आभास  कराएँगे ..
चक्का  चलता  रहे  सदा, न  कोई   रुकावट लायेंगे .
सकल विश्व में सफल रेल का, परचम हम लहरायेंगे ..
रक्षा में उनकी संरक्षा.........................................


 "संरक्षा दर्शन के अंक-20 में प्रकाशित"

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