सिग्नल कैसा पहले देखें, फिर गाड़ी प्रस्थान हो,
ऐ डब्लू ऐस है जीवन रक्षक, इसका नहीं अपमान हो।
सिग्नल ठीक मिला फिर भी, सब काँटों की पहचान हो,
आस-पास क्या काम हो रहा, पूर्ण रूप अनुमान हो।
कहाँ गति कितनी से चलना, इसका समुचित ज्ञान हो,
स्टेशन पर गाड़ी रुकने, में न कोई व्यवधान हो।
चले कहाँ से कहाँ है जाना, मंज़िल पर ही ध्यान हो,
हंसी ख़ुशी से काम को करना, ऐसी सोच महान हो।
संरक्षा पालन की महिमा, का पूरा गुणगान हो,
दुर्घटना तो पाप सदा, इस से न कभी पहचान हो।
नशा-व्यसन हैं घातक इनका, नहीं कोई नाम निशान हो,
निर्भय-निडर समय-पालन और, कर्म-परायण शान हो।
निंदक - दुर्ज़न - उद्दंडों के, डर से दिल अनज़ान हो,
संरक्षा ही सफल काम का, मंत्र सदा यह जान लो।
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