Thursday, March 31, 2011

हे चालक श्रमवीर!

हे चालक  श्रमवीर  तुम्हें  चलते  रहना है,
पल - पल में व्यवधान तुम्हें लड़ते रहना है|
समय - सुरक्षा - संचालन  को  ढाल बनाकर,
नित नए सफ़र पर बस तुमको बढ़ाते रहना है||

चिंता  और  तनाव  यहाँ  सर  तान  खड़े  हैं,
व्यसनों के सब मकड़ जाल हर ओर घने हैं|
पर अपने मकसद को केवल ध्येय बनाकर,
हर हालत में तुमको हर पल खुश रहना है||
अपना  एक उद्देश्य  सफल  संचालन का है,
सहकर्मी   सहयोग   सदा   लेना   देना  है|
ख़ुशी ख़ुशी सबको उनकी मंजिल पहुंचाकर,
 चहरे  पर  मुस्कान  लिए  घर  में  जाना है||
अंतर्मन  की  सदा  सुनो  वह  सच कहता है,
सही गलत जो किया वहां सब कुछ दिखता है|
कार्य-कुशलता को शत प्रतिशत अंक लगाकर,
अपना  कार्य  तुम्हें  हर  पल अब्वल करना है||