Monday, September 27, 2010

"संरक्षा-गीत"

संरक्षा प्रहरी वही, सज़ग सदा तैनात,
ऐसे मानव श्रेष्ठ का, सुन्दर सुखद प्रभात||1||

लापरवाही से बड़ा, दूजा नहीं पिसाच|
सज़ग सदा रहना सखा, मौत रही है नाच||2||

संरक्षा उन्नत करो, तन - मन से तुम भ्रात|
संरक्षा उन्नति करे, सदा तुम्हारी तात||3||

ध्यान रखो चलता रहे, चक्का ठीक प्रकार|

अपने इस कर्त्तव्य को, मत जानो तुम भार||4||

ड्यूटी पर आना सदा, कर पूर्ण विश्राम|
थके हुए तन से नहीं, निपटा करते काम||5||

करें यात्रा रेल में, अगणित नित्य नवीन|
संरक्षा उनकी सदा, करना तुम परवीन||6||

ड्यूटी पर पूरा न हो, जब तक विनिमय काज|
तब तक मत जाना कहीं, मन में रख लो आज||7||

संरक्षा सबसे प्रथम, मन में लियो समाय|
संरक्षा तुमको सखा, जीवन भर हर्षाय||8||

नियमों का पालन करें, द्रढ़ता से सुविचार|
मुदित ह्रदय घर जाइए, पुलकित हो परिवार||9||

ठीक न यदि निर्णय लिया, माथे लगे कलंक|
पर्चा उलटा कर दिया, फिर काहे का अंक||10||

ड्यूटी के दौरान तुम, रहना सदा सतर्क|
नियमों का पालन करो, उचित न होते तर्क||11||

याद रखो हर मूल्य पर, दुर्घटना टल जाये|
कहना पड़ता बाद में, मिला बुरा फल हाय||12||

गाड़ी पटरी पर सदा, चले तुम्हारी मीत|
अधरों पर रखना सदा, संरक्षा के गीत||13||

चालक सिग्नल देखकर, निश्चित कर लो बात|
मौत न बैठी हो कहीं, निकट लगाये घात||14||

गाड़ी जब चलती रहे, चालक रखना ध्यान|
सिग्नल ऐसा मित्र है, सदा बचाए जान||15||

चालक वह रणवीर है, आगे लड़ता जाय|
सज़ग सदा रहना सखा, ना नींद नशा छू जाय||16||

स्टेशन मास्टर तेरा, स्टेशन ही तीर्थ|
ऐसे करना कार्य तुम, मिले सदा सत्कीर्ति||17||

याद रखो जब भी कभी, फ़ोन उठाओ हाथ|
स्टेशन का नाम लो, जैसे अंबरनाथ||18||

चाभी रखना पास में, अपने ही अधिकार|
जीवन में तुम पर सखा, नहीं पड़ेगी मार||19||

निज अंकों की पुस्तिका, बड़े काम की चीज़|
सदा रखो अधिकार में, कभी न आवे खीज||20||

आगत सिग्नल तुम स्वयं, बाहर देखो जाय|
सिग्नल डाउन ठीक है, ह्रदय शांत हो जाय||21||

आगत सिग्नल द्वार है, स्टेशन का भाय|
गाड़ी आने पर तुरत, उसको दियो उठाय||22||

केबिन असंतुष्टि की, पड़ जाये जब छाप|
सिग्नल डाउन न करो, उचित यही है बात||23||

कार्य करें अधीन जो, दो निश्चित आदेश|
और सुनिश्चित यह करो, समझे सही सन्देश||24||

काट-छाँट के काम में, मत करना विश्वास|
संचालन के काम में, उचीय नहीं परिहास||25||

लीवर कॉलर का सदा, तुम करना उपयोग|
संरक्षा की बात है, मत जानो कोई रोग||26||

उचित तरीके से सदा, प्रेषित हो सन्देश|
लाइन क्लिअर के समय, रखना ध्यान विशेष||27||

लाइन क्लिअर ठीक है, सही ट्रेन का नाम|
सदा सुनिश्चित यह करो, ठीक हो रहा काम||28||

निजी अंक दोहराइए, तीन तरह से आप|
रखना इस सन्देश की, सदा ह्रदय पर छाप||29||

शर्तें पूरी हों तथा, केबिन हो संतुष्ट|
सिग्नल दिलवाना तभी, कौन हो सके रुष्ट||30||

ब्लोक के उपकरण यदि, जब हो जाएँ खराब|
मत लाना उपयोग में, विनती यही जनाब||31||

जन-धन-श्रम की हानि हो, मन उपजे संताप|
दुर्घटनाओं से बड़ा, और न दूजा पाप||32||

नियम हमारे मित्र हैं, रखो गांठ से बांध|
ड्यूटी पर रहना सज़ग, सोना है अपराध||33||

चलती गाड़ी में कहीं, गरम धुरा यदि होय|
प्रथम परीक्षा के बिना, नहीं चलाना सोय||34||

ताला लग जाये तभी, सिग्नल दियो झुकाय|
यदि ताला आये नहीं, काँटा देखो जाय||35||

निज नियमों की पुस्तकें, रखो नियम अनुसार|
सुन्दर सुखद भविष्य के, सपने हों साकार||36||

संरक्षा धूमिल जभी, दुर्घटना तब होय|
बाबू जी भीतर रहे, ओढ़ चदरिया सोय||37||

कर्तव्यों का बोध है, है नियमों का ज्ञान|
पालन जो करते सदा, उनके हों गुणगान||38||

कुहरा यदि पड़ने लगे, दिन में कभी कभार|
सिग्नल जलवाना तुरत, यही एक उपचार||39||

ऐसे ही मत बैठना, धरे हाथ पर हाथ|
फॉग-पोर्टर भेजना, लिए पटाखा साथ||40||

"संरक्षा दर्शन के अंक-१६ में प्रकाशित"

Sunday, September 26, 2010

"संरक्षा का ज्ञान मात्र"

संरक्षा का ज्ञान मात्र, दुर्घटना दूर भगाएगा|
जब अनजाने भी नियमों का, उल्लंघन ना हो पायेगा||
काम समापन कर घर जाकर, निश्चिन्त हो आराम करो|
बैर-भाव की छोड़ कामना, मिल-जुल कर सब काम करो||
खेल-खेल में काम सफलता, से तेरा हो जाएगा|
संरक्षा का ज्ञान मात्र......................................||
सही समय ड्यूटी पर आना, ईष्ट-देव को शीष झुकाना|
नियमों का आदर करते हुए, सिर्फ काम में ध्यान लगना||
विषम काम का भार भी तुम्हें, कभी थका नहीं पायेगा|
संरक्षा का ज्ञान मात्र.......................................||
मानवता के शत्रु व्यसन, दिल में ये बात बसा लेना|
ज्ञान तंत्र के दुश्मन हैं, इनसे तुम सदा दूर रहना||
गलती से भी गलत काम, कोई तुमसे करा ना पायेगा|
संरक्षा का ज्ञान मात्र.......................................||
कर्म क्षेत्र की खुशहाली, जीवन को भी मंहकाती रहे|
जो हैं तुमसे जुड़े हुए, उन सब में ख़ुशी लुटाती रहे||
कोई दुःख का सबब तेरा, अस्तित्व हिला नहीं पायेगा|
संरक्षा का ज्ञान मात्र.......................................||
लक्ष्मण रेखा हैं नियम सभी, उल्लंघन यदि हो जायेगा|
दुर्घटना सा रावण फिर, अपना उत्पात दिखायेगा||
सुख शांति प्रिया सी सिया तेरी, वो रावण हर ले जाएगा||
संरक्षा का ज्ञान मात्र.......................................||
"संरक्षा दर्शन अंक-३३ में प्रकाशित"

Friday, September 24, 2010

संरक्षा से सुखद यात्रा

संरक्षा से बने यात्रा सुखद, और सम्मान मिले|
यातायात सुरक्षित हो तो, अधरों पर मुस्कान खिले||
गाड़ी चलती रहे सुरक्षित, कोई रुकावट आये ना|
समय नष्ट, जन-धन हानि का, कोई क्लेश सताए ना||
यात्री और कर्मचारी के, दिल में हर्षोल्लास खिले|
यातायात सुरक्षित हो तो..................................||
जन-धन-श्रम की करो सुरक्षा, तन-मन उसमें लगा रहे|
 कभी-कभी मौका मिलाता है, सेवा के हैं लाभ बड़े||
प्रेम-भोव से सेवा करके, हर पल आत्मसम्मान मिले||
यातायात सुरक्षित हो तो..................................||
जब तक हो खुशियाँ बांटो, तुम गम से सदा दूर रहना|
नींद-नशा-लापरवाही के, चक्कर में तुम मत पड़ना||
सजग-सतर्क रहे यदि हर-पल, निशित ही सुख-शांति मिले|
यातायात सुरक्षित हो तो...................................||
सतत करो कोशिश जीवन में,अच्छा कुछ कर जाने की|
आगे बढ़ते रहो सदा, कोई बात नहीं फिर डरने की||
करो प्रतिज्ञा अच्छा सोचो, द्रढ़ता से विश्वास मिले|
यातायात सुरक्षित हो तो....................................||
         "संरक्षा दर्शन के अंक-२७ में प्रकाशित"

मोटरमैन

संरक्षा को नहीं भूलना,
मोटरमैन सदा रख ध्यान|
लाखों लोगों के जीवन की,
ज़िम्मेदारी का है काम||
सिग्नल लाल खड़ी हो गाड़ी,
कभी न करना जल्दी-बाज़ी|
बजे कभी भ्रम की यदि घंटी,
तू उसको लेना पहचान||
संरक्षा को...................
नींद-नशा हैं दुश्मन तेरे,
लापरवाही दिन भार घेरे|
इनसे मत होना हैरान,
बस अपना मकसद पहचान||
संरक्षा को.................
गलती से होती दुर्घटना,
इसका स्वाद हमें नहीं चखना|
सदा ह्रदय में रखना ज्ञान,
दुर्घटना अभिशाप समान||
संरक्षा को......................
 तू ऐसा रणवीर जवान,
जिसके हाथों रहे कमान|
अगर सभी गलती भी कर दें,
तू उसको लेना पहचान||
संरक्षा को.......................
 "संरक्षा दर्शन केअंक-२६ में प्रकाशित"