संरक्षा प्रहरी वही, सज़ग सदा तैनात,
ऐसे मानव श्रेष्ठ का, सुन्दर सुखद प्रभात||1||
लापरवाही से बड़ा, दूजा नहीं पिसाच|
सज़ग सदा रहना सखा, मौत रही है नाच||2||
संरक्षा उन्नत करो, तन - मन से तुम भ्रात|
संरक्षा उन्नति करे, सदा तुम्हारी तात||3||
ध्यान रखो चलता रहे, चक्का ठीक प्रकार|
अपने इस कर्त्तव्य को, मत जानो तुम भार||4||
ड्यूटी पर आना सदा, कर पूर्ण विश्राम|
थके हुए तन से नहीं, निपटा करते काम||5||
करें यात्रा रेल में, अगणित नित्य नवीन|
संरक्षा उनकी सदा, करना तुम परवीन||6||
ड्यूटी पर पूरा न हो, जब तक विनिमय काज|
तब तक मत जाना कहीं, मन में रख लो आज||7||
संरक्षा सबसे प्रथम, मन में लियो समाय|
संरक्षा तुमको सखा, जीवन भर हर्षाय||8||
नियमों का पालन करें, द्रढ़ता से सुविचार|
मुदित ह्रदय घर जाइए, पुलकित हो परिवार||9||
ठीक न यदि निर्णय लिया, माथे लगे कलंक|
पर्चा उलटा कर दिया, फिर काहे का अंक||10||
ड्यूटी के दौरान तुम, रहना सदा सतर्क|
नियमों का पालन करो, उचित न होते तर्क||11||
याद रखो हर मूल्य पर, दुर्घटना टल जाये|
कहना पड़ता बाद में, मिला बुरा फल हाय||12||
गाड़ी पटरी पर सदा, चले तुम्हारी मीत|
अधरों पर रखना सदा, संरक्षा के गीत||13||
चालक सिग्नल देखकर, निश्चित कर लो बात|
मौत न बैठी हो कहीं, निकट लगाये घात||14||
गाड़ी जब चलती रहे, चालक रखना ध्यान|
सिग्नल ऐसा मित्र है, सदा बचाए जान||15||
चालक वह रणवीर है, आगे लड़ता जाय|
सज़ग सदा रहना सखा, ना नींद नशा छू जाय||16||
स्टेशन मास्टर तेरा, स्टेशन ही तीर्थ|
ऐसे करना कार्य तुम, मिले सदा सत्कीर्ति||17||
याद रखो जब भी कभी, फ़ोन उठाओ हाथ|
स्टेशन का नाम लो, जैसे अंबरनाथ||18||
चाभी रखना पास में, अपने ही अधिकार|
जीवन में तुम पर सखा, नहीं पड़ेगी मार||19||
निज अंकों की पुस्तिका, बड़े काम की चीज़|
सदा रखो अधिकार में, कभी न आवे खीज||20||
आगत सिग्नल तुम स्वयं, बाहर देखो जाय|
सिग्नल डाउन ठीक है, ह्रदय शांत हो जाय||21||
आगत सिग्नल द्वार है, स्टेशन का भाय|
गाड़ी आने पर तुरत, उसको दियो उठाय||22||
केबिन असंतुष्टि की, पड़ जाये जब छाप|
सिग्नल डाउन न करो, उचित यही है बात||23||
कार्य करें अधीन जो, दो निश्चित आदेश|
और सुनिश्चित यह करो, समझे सही सन्देश||24||
काट-छाँट के काम में, मत करना विश्वास|
संचालन के काम में, उचीय नहीं परिहास||25||
लीवर कॉलर का सदा, तुम करना उपयोग|
संरक्षा की बात है, मत जानो कोई रोग||26||
उचित तरीके से सदा, प्रेषित हो सन्देश|
लाइन क्लिअर के समय, रखना ध्यान विशेष||27||
लाइन क्लिअर ठीक है, सही ट्रेन का नाम|
सदा सुनिश्चित यह करो, ठीक हो रहा काम||28||
निजी अंक दोहराइए, तीन तरह से आप|
रखना इस सन्देश की, सदा ह्रदय पर छाप||29||
शर्तें पूरी हों तथा, केबिन हो संतुष्ट|
सिग्नल दिलवाना तभी, कौन हो सके रुष्ट||30||
ब्लोक के उपकरण यदि, जब हो जाएँ खराब|
मत लाना उपयोग में, विनती यही जनाब||31||
जन-धन-श्रम की हानि हो, मन उपजे संताप|
दुर्घटनाओं से बड़ा, और न दूजा पाप||32||
नियम हमारे मित्र हैं, रखो गांठ से बांध|
ड्यूटी पर रहना सज़ग, सोना है अपराध||33||
चलती गाड़ी में कहीं, गरम धुरा यदि होय|
प्रथम परीक्षा के बिना, नहीं चलाना सोय||34||
ताला लग जाये तभी, सिग्नल दियो झुकाय|
यदि ताला आये नहीं, काँटा देखो जाय||35||
निज नियमों की पुस्तकें, रखो नियम अनुसार|
सुन्दर सुखद भविष्य के, सपने हों साकार||36||
संरक्षा धूमिल जभी, दुर्घटना तब होय|
बाबू जी भीतर रहे, ओढ़ चदरिया सोय||37||
कर्तव्यों का बोध है, है नियमों का ज्ञान|
पालन जो करते सदा, उनके हों गुणगान||38||
कुहरा यदि पड़ने लगे, दिन में कभी कभार|
सिग्नल जलवाना तुरत, यही एक उपचार||39||
ऐसे ही मत बैठना, धरे हाथ पर हाथ|
फॉग-पोर्टर भेजना, लिए पटाखा साथ||40||
"संरक्षा दर्शन के अंक-१६ में प्रकाशित"
Monday, September 27, 2010
Sunday, September 26, 2010
"संरक्षा का ज्ञान मात्र"
संरक्षा का ज्ञान मात्र, दुर्घटना दूर भगाएगा|
जब अनजाने भी नियमों का, उल्लंघन ना हो पायेगा||
काम समापन कर घर जाकर, निश्चिन्त हो आराम करो|
बैर-भाव की छोड़ कामना, मिल-जुल कर सब काम करो||
खेल-खेल में काम सफलता, से तेरा हो जाएगा|
संरक्षा का ज्ञान मात्र......................................||
सही समय ड्यूटी पर आना, ईष्ट-देव को शीष झुकाना|
नियमों का आदर करते हुए, सिर्फ काम में ध्यान लगना||
विषम काम का भार भी तुम्हें, कभी थका नहीं पायेगा|
संरक्षा का ज्ञान मात्र.......................................||
मानवता के शत्रु व्यसन, दिल में ये बात बसा लेना|
ज्ञान तंत्र के दुश्मन हैं, इनसे तुम सदा दूर रहना||
गलती से भी गलत काम, कोई तुमसे करा ना पायेगा|
संरक्षा का ज्ञान मात्र.......................................||
कर्म क्षेत्र की खुशहाली, जीवन को भी मंहकाती रहे|
जो हैं तुमसे जुड़े हुए, उन सब में ख़ुशी लुटाती रहे||
कोई दुःख का सबब तेरा, अस्तित्व हिला नहीं पायेगा|
संरक्षा का ज्ञान मात्र.......................................||
लक्ष्मण रेखा हैं नियम सभी, उल्लंघन यदि हो जायेगा|
दुर्घटना सा रावण फिर, अपना उत्पात दिखायेगा||
सुख शांति प्रिया सी सिया तेरी, वो रावण हर ले जाएगा||
संरक्षा का ज्ञान मात्र.......................................||
"संरक्षा दर्शन अंक-३३ में प्रकाशित"
Friday, September 24, 2010
संरक्षा से सुखद यात्रा
संरक्षा से बने यात्रा सुखद, और सम्मान मिले|
यातायात सुरक्षित हो तो, अधरों पर मुस्कान खिले||
गाड़ी चलती रहे सुरक्षित, कोई रुकावट आये ना|
समय नष्ट, जन-धन हानि का, कोई क्लेश सताए ना||
यात्री और कर्मचारी के, दिल में हर्षोल्लास खिले|
यातायात सुरक्षित हो तो..................................||
जन-धन-श्रम की करो सुरक्षा, तन-मन उसमें लगा रहे|
कभी-कभी मौका मिलाता है, सेवा के हैं लाभ बड़े||
प्रेम-भोव से सेवा करके, हर पल आत्मसम्मान मिले||
यातायात सुरक्षित हो तो..................................||
जब तक हो खुशियाँ बांटो, तुम गम से सदा दूर रहना|
नींद-नशा-लापरवाही के, चक्कर में तुम मत पड़ना||
सजग-सतर्क रहे यदि हर-पल, निशित ही सुख-शांति मिले|
यातायात सुरक्षित हो तो...................................||
सतत करो कोशिश जीवन में,अच्छा कुछ कर जाने की|
आगे बढ़ते रहो सदा, कोई बात नहीं फिर डरने की||
करो प्रतिज्ञा अच्छा सोचो, द्रढ़ता से विश्वास मिले|
यातायात सुरक्षित हो तो....................................||"संरक्षा दर्शन के अंक-२७ में प्रकाशित"
मोटरमैन
संरक्षा को नहीं भूलना,
मोटरमैन सदा रख ध्यान|
लाखों लोगों के जीवन की,
ज़िम्मेदारी का है काम||
सिग्नल लाल खड़ी हो गाड़ी,
कभी न करना जल्दी-बाज़ी|
बजे कभी भ्रम की यदि घंटी,
तू उसको लेना पहचान||
संरक्षा को...................
नींद-नशा हैं दुश्मन तेरे,लापरवाही दिन भार घेरे|
इनसे मत होना हैरान,
बस अपना मकसद पहचान||
संरक्षा को.................
गलती से होती दुर्घटना,
इसका स्वाद हमें नहीं चखना|
सदा ह्रदय में रखना ज्ञान,
दुर्घटना अभिशाप समान||
संरक्षा को......................
तू ऐसा रणवीर जवान,जिसके हाथों रहे कमान|
अगर सभी गलती भी कर दें,
तू उसको लेना पहचान||
संरक्षा को.......................
"संरक्षा दर्शन केअंक-२६ में प्रकाशित"
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