Monday, November 17, 2014

रेल का हो सफर…….



रेल का हो सफर खुशियों से भरा।
उसकी खातिर करो कुछ यतन साथियो।
सिर्फ खुशियाँ मिलें ज़िन्दगी में सदा।
गम का नामो-निशाँ तक मिटे साथियो।
रेल है देश की धड़कनों की तरह। 
इसके चलने से चलता वतन साथियो।  
बिन रुके अनवरत पथ में बढ़ते रहो। 
देश सेवा से थकता ना तन साथियो।
रेल की राह में धर्म जाती नहीं।
ये कराती सभी का मिलन साथियो।
हिन्दू मुस्लिम हो सिख या ईसाई कोई।
सबका स्वागत करो ऐक सा साथियो।
हादसों से डरो सुख के दुश्मन हैं वो। 
रूह भी काँप उठती है सुन साथियो।  
रखना नियमों से तुम दोस्ती हर कदम। 
राह आसान होगी सहज साथियो।
कौन क्या कर रहा किसको क्या मिल गया।
मन मलिन अपना करना नहीं साथियो।
काम जो भी मिला किस्मत से तुम्हें।
उसको खुश होके करने में सुख साथियो।
सबका आदर करो नेक नीयत रखो। 
अपना ईमान दूषित ना हो साथियो।  
स्वार्थ सेवा में होना नहीं चाहिए। 
होगा उत्कृष्ट जीवन उदय साथियो।

Tuesday, April 8, 2014

"सफल काम का मंत्र"


                 
सिग्नल कैसा पहले देखें, फिर गाड़ी प्रस्थान हो,
ऐ डब्लू ऐस है जीवन रक्षक, इसका नहीं अपमान हो।

सिग्नल ठीक मिला फिर भी, सब काँटों की पहचान हो,
आस-पास क्या काम हो रहा, पूर्ण रूप अनुमान हो।

कहाँ गति कितनी से चलना, इसका समुचित ज्ञान हो,
स्टेशन पर गाड़ी रुकने, में न कोई व्यवधान हो।

चले कहाँ से कहाँ है जाना, मंज़िल पर ही ध्यान हो,
हंसी ख़ुशी से काम को करना, ऐसी सोच महान हो।

संरक्षा पालन की महिमा, का पूरा गुणगान हो,
दुर्घटना तो पाप सदा, इस से न कभी पहचान हो।

नशा-व्यसन हैं घातक इनका, नहीं कोई नाम निशान हो,
निर्भय-निडर समय-पालन और, कर्म-परायण शान हो।

निंदक - दुर्ज़न - उद्दंडों के, डर से दिल अनज़ान हो,
संरक्षा ही सफल काम का, मंत्र सदा यह जान लो।

Monday, February 17, 2014

संरक्षा से रख पहचान

  
पल पल रहना सजग सखा,
और संरक्षा का कर सम्मान।  
कोई नहीं है बड़ा यहाँ पर,
नहीं किसी को छोटा जान ।।
 प्रेम भाव से चलती दुनिया,
रखना अटल मंत्र का ज्ञान।
 रेल देश का ह्रदय समझ,
हम  इसकी धड़कन पर कुर्बान।।
यात्री - ग्राहक मित्र हमारे,
सेवा से उनकी मुस्कान
 बिना स्वार्थ हो मदद सभी की,
तभी बनेगी रेल महान।।
 दुर्घटना होती विध्वंसक,
निर्दोषों की जाती जान। 
संरक्षा है कवच अभेदी,
कहीं न बन जाना अनजान।।
सुन्दर सुखद सफल जीवन ही,
सबके दिल का है अरमान। 
कर्म क्षेत्र की खुशहाली को,
मूल सूत्र दिल से लो जान।।
 काम मिला है जो भी उसको,
ज़िम्मेदारी लेना मान।  
कोई करे ना-करे प्रसंशा,
इसपर मत देना तुम ध्यान।।
कार्य कुशलता खुद करती है,
अपने कर्मों का गुणगान।  
सूरज को दीपक की लौ से,
कभी नहीं पड़ता है काम।।
 बुद्धि विवेक मिला विधना से,
मात पिता गुरुओं से ज्ञान।
 क्या - कब - क्यों - कैसे करना,
अब यह होगी तेरी पहचान।।
जीवन है शतरंज यहाँ,
और कर्म कसौटी पर है जान।  
खरा उतरना होगा इसपर,
संरक्षा से रख पहचान।।