Wednesday, March 6, 2013

सिग्नल

रूप अनेकों हैं जिसके सिग्नल कहलाता है,
कदम कदम का साथी हमको राह बताता है।
सर्दी-गर्मी - धूप-ताप उसको न सताता है,
काम करे अविराम कभी आलस नहीं लाता है।।

 

बहु-संकेती सिग्नल में बहु-रंग दिखाता है,
लाल - हरा - पीला होकर यह राह बताता है।
चालक का है सखा कभी कोई द्वेष न रखता है,
हर खतरे से हर-पल सबकी जान बचाता है।।

 

लाल कहे रुक जाने को खतरे का द्योतक है,
पीला कहता चलो मगर रुकने की नौवत है।
हरा रंग खुशहाली का बस चलते जाना है,
पालन यदि करते इनका निष्कंटक जीवन है।।

 

राह करे आसान रंगों से सब कह जाता है,
यातायात अधिकता को भी सरल बनाता है।
समझदार को अवरोधों का ज्ञान कराता है
,
चुप रहकर सब कुछ कहने का हुनर सिखाता है।।

 

अगर कभी सिग्नल बिगड़े तो नियम ये कहता है,
मत करना प्रस्थान मित्र इसमें भी धोखा है।
असमंजस हो अगर सुनिश्चित बार-बार करना है,
दुर्घटना से देर भली कोई फर्क न पड़ता है।।