Saturday, January 30, 2010

दिल में रखना हर-दम

संरक्षा को समझ प्रेमिका, दिल में रखना हर-दम|
नहीं पडेगा पछताना, सब सुखी रहेंगे हर - दम||
कर  पूरा  विश्राम,  काम  पर जाना  याद रखोगे,
ड्यूटी पर रहकर घर की सब, याद सखा विसरोगे|
संरक्षा  तेरे  दिल  में  फिर, साथ  रहेगी हर-दम||
नहीं पड़ेगा पछताना.........................................||
कर्म सिर्फ है धर्म, कभी तुम भार इसे न समझना,
नियमों के अनुसार काम को, तन्मयता से करना|
संरक्षा तन-मन को तेरे, स्वस्थ रखेगी हर-दम||
नहीं पडेगा पछताना.........................................||
सदा काम  में लापरवाही, सिर्फ  हानि  करती है,
चौकन्ने और सज़ग व्यक्ति से, दुर्घटना डरती है|
लगा रहे दिल संरक्षा से, मुदित ह्रदय हो हर-दम||
नहीं पड़ेगा पछताना.........................................||
कैसे   भी   संरक्षा   से,  सदा   मोहब्बत   करना,
काट-छाँट  के कामों से, मेरे यार  हमेशा  डरना|
जल्दी का फल कभी नहीं, मीठा होता सुन रे मन||
नहीं पड़ेगा पछताना.........................................||

"संरक्षा दर्शन के अंक-20 में प्रकाशित"

रेल साथियो

रेल साथियो सुनो अगर, जीवन को सफल बनाना है,
संरक्षा  को  हरदम - हरपल, सबसे  आगे  रखना  है||
नियत समय पर दिए काम को, सही ढंग से करना है,
ड्यूटी  पर रहते  हुए मित्रो, आलस  कभी  न लाना है|
समय-बद्धता, अनुशासन और नियमों को अपनाना है,
संरक्षा को.......................................................||
रेल चलने की खातिर, सब साथी सदां सजग रहना,
रेल-खंड के हर चप्पे पर, अपनी तेज नज़र रखना|
दुनियां जिस पर करे नाज़, हमें ऐसे रेल चलाना है,
संरक्षा को..................................................||
भारतीय रेल के श्रम-वीरो, ऐसे व्यवहार कुशल बनना,
यात्री-गण या सहकर्मी से, कभी नहीं अनबन करना|
टीम-भावना दिल में रखकर, सारे काम कराना है,
संरक्षा को....................................................||
चालक-संरक्षक इसके तुम, अपना एक ध्येय रखना,
रेल चले तब देश चले, इसका विस्मरण नहीं करना|
कैसे भी हो तुम्हें रेल को, मंजिल तक पहुंचाना है,
संरक्षा को...................................................||
करना गर्व हमेशा लेकिन, अभिमानी नहीं बनना तुम,
ना कोई बड़ा नहीं कोई छोटा, सभी कर्मचारी हैं हम|
सबका ही उद्देश्य एक, मिल-जुलकर रेल चलाना है,
संरक्षा को...................................................||

    "संरक्षा दर्शन के अंक-21 में प्रकाशित"

दुर्घटना का मूल-नाश

दुर्घटना का नामो-निशां मिट जायेगा,
हर मानव यदि संरक्षा को अपनायेगा |
यह देश गगन का ध्रुव-तारा कहलायेगा,
जब दुर्घटना का मूल-नाश हो जायेगा |
चाहे रेल-सफ़र में जाने की तैयारी हो,
या सड़क-मार्ग पर करनी कभी सवारी हो |
आकाश-मार्ग का पवन तुम्हें सहालायेगा,
यदि संरक्षा की सोच जहन में लायेगा |
यह देश गगन....................................||
सोते-जगते, खाते-पीते, घर या बाहर,
है एक चुनौती जीवन का ये भव-सागर |
जब गलती का परिणाम समझ आ जायेगा,
वह पल तुमको यह सागर पार करायेगा |
यह देश गगन..........................................||
दुर्घटना से होती धन-जन-श्रम हानि,
हर मन का क्लेश करे फिर अपनी मन-मानी|
यह चिंता का उद्वेग हमें खा जायेगा,
यदि लापरवाही-नींद-नशा भा जायेगा|
यह देश गगन......................................||
मानव-मन बुद्धि-विवेक भरा बतलाते हैं,
फिर हम अपना कर्त्तव्य भूल क्यों जाते हैं |
बस संरक्षा का नशा अगर चढ़ जायेगा,
तब दुर्घटना का मूल-नाश हो जायेगा |
यह देश गगन का ध्रुव-तारा कहलायेगा,
जब दुर्घटना का मूल-नाश हो जायेगा ||

"संरक्षा दर्शन के अंक-23 में प्रकाशित"

Thursday, January 21, 2010

रेल सफ़र

रेल सफ़र में हर ग्राहक, को मित्र बनाते जायेंगे.
रक्षा   में  उनकी  संरक्षा, हम  अपनाते  जायेंगे..
अगर उन्हें कुछ मुश्किल होगी, उचित राह दिखलायेंगे.
अपनी   कुशल  कार्य-शैली  से, उनका   काम कराएँगे..
प्यार   बांटते  जायेंगे,   ना   कभी    क्रोध   में  आयेंगे.
वाणी  के  अति  मधुर  ढंग  से, अपना   उन्हें बनायेंगे..
रक्षा में उनकी संरक्षा.......................................
सच्चा  रेल-मित्र   होने  का,  पूरा धर्म निभाएंगे.
अपने पाक-साफ़ दामन पर, दाग नहीं लगने देंगे ..
पारदर्शिता रखकर  के हम, सदा  काम करवाएंगे .
हर यात्री को सही सलामत, मंजिल तक पहुचायेंगे ..
रक्षा में उनकी संरक्षा......................................
आओ मिलकर करें प्रतिज्ञा, कभी न आलस लायेंगे .
नींद, नशा, लापरवाही के, व्यसन गले न लगायेंगे ..
काम   करेंगे    दृढ़ता  से, दुर्घटना   दूर  भगायेंगे .
अच्छा  काम  करेंगे तो, दुनियां   के लोग सराहेंगे ..
रक्षा में उनकी संरक्षा.......................................
दुनियां मानेगी ''लोहा'', हम ऐसा बन दिखलायेंगे .
रेल  हमारी   हम  हैं   इसके, ये  आभास  कराएँगे ..
चक्का  चलता  रहे  सदा, न  कोई   रुकावट लायेंगे .
सकल विश्व में सफल रेल का, परचम हम लहरायेंगे ..
रक्षा में उनकी संरक्षा.........................................


 "संरक्षा दर्शन के अंक-20 में प्रकाशित"

Wednesday, January 20, 2010

दुर्घटना से रहित रेल

दुर्घटना से रहित रेल का, सपना साकार बनायेंगे
इस देश की जीवन रेखा से, दुर्घटना नाम हटायेंगे


नियम
सभी संचालन के, हम हर-पल अमल में लायेंगे

दुर्घटना का नामो-निशां, मिलकर हम सभी मिटायेंगे

हर पल सजग-सतर्क रहें हम, मानव-धर्म निभायेंगे
हर यात्री उसकी मंजिल तक, निर्भयता से पहुंचाएंगे


संरक्षा के नारों से हम, कब तक दिल बहलाएँगे

अब
समय गया है मित्रो, उन सबको अमल में लायेंगे


रेल चले तो देश चले, हम दिल से नहीं भुलायेंगे

संरक्षा
से रेल चला, भारत को सुद्रढ़ बनायेंगे


यह
रेल हमारी पोषक है, हम इसको खूब मान देंगे

इसकी
संरक्षा में अपना, तन-मन हम अर्पण कर देंगे


अब रेल संरक्षा की खातिर, बलिदान तुम्हें करना होगा

तुम बहुत सो चुके हो जग में, लेकिन अब तो जगना होगा


भारतीय रेल के श्रम-वीरो, आगे आकर संकल्प करो

संरक्षा
को गले लगाकर, दुर्घटना को दूर करो


मानवता
की रक्षा के लिए, यह प्रण तुमको करना होगा

हर-पल हर-क्षण संरक्षा को, सबसे आगे रखना होगा


फिर दिन वह दूर नहीं होगा, तुम दुनियां में छा जाओगे

अखिल-विश्व में सफल-रेल का, परचम तुम लहराओगे







"संरक्षा दर्शन के अंक-११ में प्रकाशित"