Monday, February 17, 2014

संरक्षा से रख पहचान

  
पल पल रहना सजग सखा,
और संरक्षा का कर सम्मान।  
कोई नहीं है बड़ा यहाँ पर,
नहीं किसी को छोटा जान ।।
 प्रेम भाव से चलती दुनिया,
रखना अटल मंत्र का ज्ञान।
 रेल देश का ह्रदय समझ,
हम  इसकी धड़कन पर कुर्बान।।
यात्री - ग्राहक मित्र हमारे,
सेवा से उनकी मुस्कान
 बिना स्वार्थ हो मदद सभी की,
तभी बनेगी रेल महान।।
 दुर्घटना होती विध्वंसक,
निर्दोषों की जाती जान। 
संरक्षा है कवच अभेदी,
कहीं न बन जाना अनजान।।
सुन्दर सुखद सफल जीवन ही,
सबके दिल का है अरमान। 
कर्म क्षेत्र की खुशहाली को,
मूल सूत्र दिल से लो जान।।
 काम मिला है जो भी उसको,
ज़िम्मेदारी लेना मान।  
कोई करे ना-करे प्रसंशा,
इसपर मत देना तुम ध्यान।।
कार्य कुशलता खुद करती है,
अपने कर्मों का गुणगान।  
सूरज को दीपक की लौ से,
कभी नहीं पड़ता है काम।।
 बुद्धि विवेक मिला विधना से,
मात पिता गुरुओं से ज्ञान।
 क्या - कब - क्यों - कैसे करना,
अब यह होगी तेरी पहचान।।
जीवन है शतरंज यहाँ,
और कर्म कसौटी पर है जान।  
खरा उतरना होगा इसपर,
संरक्षा से रख पहचान।।

1 comment:

G.N.SHAW said...

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