Monday, November 17, 2014

रेल का हो सफर…….



रेल का हो सफर खुशियों से भरा।
उसकी खातिर करो कुछ यतन साथियो।
सिर्फ खुशियाँ मिलें ज़िन्दगी में सदा।
गम का नामो-निशाँ तक मिटे साथियो।
रेल है देश की धड़कनों की तरह। 
इसके चलने से चलता वतन साथियो।  
बिन रुके अनवरत पथ में बढ़ते रहो। 
देश सेवा से थकता ना तन साथियो।
रेल की राह में धर्म जाती नहीं।
ये कराती सभी का मिलन साथियो।
हिन्दू मुस्लिम हो सिख या ईसाई कोई।
सबका स्वागत करो ऐक सा साथियो।
हादसों से डरो सुख के दुश्मन हैं वो। 
रूह भी काँप उठती है सुन साथियो।  
रखना नियमों से तुम दोस्ती हर कदम। 
राह आसान होगी सहज साथियो।
कौन क्या कर रहा किसको क्या मिल गया।
मन मलिन अपना करना नहीं साथियो।
काम जो भी मिला किस्मत से तुम्हें।
उसको खुश होके करने में सुख साथियो।
सबका आदर करो नेक नीयत रखो। 
अपना ईमान दूषित ना हो साथियो।  
स्वार्थ सेवा में होना नहीं चाहिए। 
होगा उत्कृष्ट जीवन उदय साथियो।

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