Saturday, January 30, 2010

रेल साथियो

रेल साथियो सुनो अगर, जीवन को सफल बनाना है,
संरक्षा  को  हरदम - हरपल, सबसे  आगे  रखना  है||
नियत समय पर दिए काम को, सही ढंग से करना है,
ड्यूटी  पर रहते  हुए मित्रो, आलस  कभी  न लाना है|
समय-बद्धता, अनुशासन और नियमों को अपनाना है,
संरक्षा को.......................................................||
रेल चलने की खातिर, सब साथी सदां सजग रहना,
रेल-खंड के हर चप्पे पर, अपनी तेज नज़र रखना|
दुनियां जिस पर करे नाज़, हमें ऐसे रेल चलाना है,
संरक्षा को..................................................||
भारतीय रेल के श्रम-वीरो, ऐसे व्यवहार कुशल बनना,
यात्री-गण या सहकर्मी से, कभी नहीं अनबन करना|
टीम-भावना दिल में रखकर, सारे काम कराना है,
संरक्षा को....................................................||
चालक-संरक्षक इसके तुम, अपना एक ध्येय रखना,
रेल चले तब देश चले, इसका विस्मरण नहीं करना|
कैसे भी हो तुम्हें रेल को, मंजिल तक पहुंचाना है,
संरक्षा को...................................................||
करना गर्व हमेशा लेकिन, अभिमानी नहीं बनना तुम,
ना कोई बड़ा नहीं कोई छोटा, सभी कर्मचारी हैं हम|
सबका ही उद्देश्य एक, मिल-जुलकर रेल चलाना है,
संरक्षा को...................................................||

    "संरक्षा दर्शन के अंक-21 में प्रकाशित"

No comments: