Friday, September 24, 2010

संरक्षा से सुखद यात्रा

संरक्षा से बने यात्रा सुखद, और सम्मान मिले|
यातायात सुरक्षित हो तो, अधरों पर मुस्कान खिले||
गाड़ी चलती रहे सुरक्षित, कोई रुकावट आये ना|
समय नष्ट, जन-धन हानि का, कोई क्लेश सताए ना||
यात्री और कर्मचारी के, दिल में हर्षोल्लास खिले|
यातायात सुरक्षित हो तो..................................||
जन-धन-श्रम की करो सुरक्षा, तन-मन उसमें लगा रहे|
 कभी-कभी मौका मिलाता है, सेवा के हैं लाभ बड़े||
प्रेम-भोव से सेवा करके, हर पल आत्मसम्मान मिले||
यातायात सुरक्षित हो तो..................................||
जब तक हो खुशियाँ बांटो, तुम गम से सदा दूर रहना|
नींद-नशा-लापरवाही के, चक्कर में तुम मत पड़ना||
सजग-सतर्क रहे यदि हर-पल, निशित ही सुख-शांति मिले|
यातायात सुरक्षित हो तो...................................||
सतत करो कोशिश जीवन में,अच्छा कुछ कर जाने की|
आगे बढ़ते रहो सदा, कोई बात नहीं फिर डरने की||
करो प्रतिज्ञा अच्छा सोचो, द्रढ़ता से विश्वास मिले|
यातायात सुरक्षित हो तो....................................||
         "संरक्षा दर्शन के अंक-२७ में प्रकाशित"

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