Sunday, September 26, 2010

"संरक्षा का ज्ञान मात्र"

संरक्षा का ज्ञान मात्र, दुर्घटना दूर भगाएगा|
जब अनजाने भी नियमों का, उल्लंघन ना हो पायेगा||
काम समापन कर घर जाकर, निश्चिन्त हो आराम करो|
बैर-भाव की छोड़ कामना, मिल-जुल कर सब काम करो||
खेल-खेल में काम सफलता, से तेरा हो जाएगा|
संरक्षा का ज्ञान मात्र......................................||
सही समय ड्यूटी पर आना, ईष्ट-देव को शीष झुकाना|
नियमों का आदर करते हुए, सिर्फ काम में ध्यान लगना||
विषम काम का भार भी तुम्हें, कभी थका नहीं पायेगा|
संरक्षा का ज्ञान मात्र.......................................||
मानवता के शत्रु व्यसन, दिल में ये बात बसा लेना|
ज्ञान तंत्र के दुश्मन हैं, इनसे तुम सदा दूर रहना||
गलती से भी गलत काम, कोई तुमसे करा ना पायेगा|
संरक्षा का ज्ञान मात्र.......................................||
कर्म क्षेत्र की खुशहाली, जीवन को भी मंहकाती रहे|
जो हैं तुमसे जुड़े हुए, उन सब में ख़ुशी लुटाती रहे||
कोई दुःख का सबब तेरा, अस्तित्व हिला नहीं पायेगा|
संरक्षा का ज्ञान मात्र.......................................||
लक्ष्मण रेखा हैं नियम सभी, उल्लंघन यदि हो जायेगा|
दुर्घटना सा रावण फिर, अपना उत्पात दिखायेगा||
सुख शांति प्रिया सी सिया तेरी, वो रावण हर ले जाएगा||
संरक्षा का ज्ञान मात्र.......................................||
"संरक्षा दर्शन अंक-३३ में प्रकाशित"

1 comment:

rahul nakhwa said...

nice poeams sir eep it up.......