Sunday, August 14, 2011

रेल सेवक

रेल सेवक का ऐसा काम होना चाहिए,
हर हालत में अब्वल ही मुकाम होना चाहिए|
ड्यूटी पर तैनात बिल्ला वर्दी का हो साथ,
साफ़ सुथरा सा उसका स्वरुप होना चाहिए|
शिष्ट, सभ्य, चुस्त दिखने में तंदरुस्त,
अपने काम का भी उसे पूरा ज्ञान होना चाहिए|
लोगों की मदद कर पूरी जानकारी दे दे,
सेवा में ना कोई निजी स्वार्थ होना चाहिए|
पूछे कोई नाम उसे समझे आपकी शान,
जो भी करता उस काम का गुमान होना चाहिए|
कहीं ऐसा हो अनुमान जिसमें रेल का नुकसान,
मालुम पड़े तो वरिष्ठ को सन्देश देना चाहिए|
दुर्घटना अवरोध ऐसा हो यदि कोई योग,
उसको दूर करने में सहयोग होना चाहिए|

कभी हो जो आस-पास किसी खतरे का आभाष,
उसे संरक्षा के साथ फ़ौरन रोक देना चाहिए|
मेरा पूरा है विश्वास अपनी रेलवे के पास,
हर "कर्मवीर" ऐसा ही "प्रवीण" होना चाहिए|

6 comments:

Sunil Kumar said...

यह पते की बात कही आपने मगर क्या ऐसा हो पायेगा ?

JYOTI JHA said...

KYA BAAT HAI SIR JI............
GREAT.......

ASHOK said...

"ऐसा हो नहीं सकता" सोचकर हम कुछ नहीं करेंगे तो सच में कुछ नहीं हो सकता, लेकिन ऐसा होता है श्रीमान इसीलिए मेने शब्दों के माध्यम से अपने रेल-सेवकों (देश-भक्तों) के वास्तविक चरित्र को चित्रित करने का प्रयास किया है | आपकी टिपण्णी के लिए आप सभी का शुक्रगुज़ार हूँ||

Minakshi Pant said...

बहुत खूबसूरत सीख देती सुन्दर रचना :)

K-LINK HEALTHCARE said...
This comment has been removed by the author.
Ashok Sharma said...

बुत बहुत धन्यवाद मिनाक्षी जी, ज्योति जी......