Sunday, January 13, 2013

संरक्षा-दोहे

संरक्षा ह़ी सार है जीवन का सुन लेऊ।
सब कछु पीछे छोड़कर ध्यान इसी पर देऊ।। 

दुर्घटना से अब तलक खूब हुआ नुकसान।
अब इस पर अंकुश लगे सुन लो सकल सुजान।।
 

अब तक जो भी हो गया उसपर मत पछताव।
और न कछु ऐसो घटे  बहुरि परै पछताव।।
 

रण में जो आगे लड़े सो जोधा कहलाय।
जिनको मौका मिल गयौ नाम देऊ लिखवाय।।
 


तन मन धन और अकाल कौ खूब करे नुकसान।
मधुशाला के फेर में मत पड़ रे इंसान।।
 


रेल चलाने का मिला ज़ग में तुमको काम।
उसको ऐसो कीजिये होय खूब गुणगान।।
 

गलत न हो निर्णय कहीं मन में लेऊ विचार।
मानवता पर भूल से, कहीं न हो जाये प्रहार।।
 


ऐसे कितने सूरमा करनी रही विशेष।
लापरवाही से चढ़े दुर्घटना की भेंट।।
 


ऐसौ मत करियो करम माथे लगे कलंक।
करनी ऐसी चीज़ है राजा करदे रंक।।

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