Wednesday, January 9, 2013

चालक-वीर

चालक-वीर कभी समझौता, संरक्षा के साथ न करना,
हर सिग्नल पर हर हालत में, पैनी नज़र हमेशा रखना।
समुचित निर्देशों का पालन, सच्चे मन से हर-दम करना,
बुद्धि विवेक सदा हो निर्मल, सच की छाप ह्रदय में रखना।।

अच्छा-बुरा कोई कह जाये, मन में रंज कभी नहीं लाना,
कर्म तुम्हारी पूजा है, प्रति-पल उसको ही दिल में रखना।
हानि-लाभ तो विधि के हाथों, उस चाहत में उलझ न जाना,
कदम दर कदम जो फल मिलता, उसी स्वाद में ख़ुशी मनाना।।


सेवा की यात्रा में मिलते, रेल-सखा से प्रेम बढ़ाना,
यात्री मित्रों की खुशियों में, हर क्षण तुम भी ख़ुशी मनाना।
कोशिस करके हर लमहा, बस खुशियों की सौगात लुटाना,
जीवन है क्षण-भंगुर इसमें, अच्छी यादें तुम दे जाना।।

1 comment:

Ashok Sharma said...

शालिनी जी और शिखा जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद्