Sunday, January 1, 2012

निवेदन

लाल  सिग्नल  के  नज़दीक  मत  जाइये,
अनहोनी को जानकर न पास में बुलाइये |

 
पग - पग पर चुनौती, अपने ज्ञान को बढाइये,
मुश्किल सारे  काम लेकिन  हार  मत मानिये |

 
थका हुआ तन अगर न हो मन, घर में बैठ जाइये,
उस  हालत  में  भूलकर  भी  रिस्क  न  उठाइये |

 
सिग्नल  हो  विपरीत तब  स्पीड मत  बढाइये,
'दुर्घटना  से  देर  भली' यह मंत्र  गुनगुनाइये |

 
नींद - नशा  हैं दुश्मन,  इनसे  मेल  मत  बढाइये,
अगर कभी हों साथ, काम से परिचय न कराइये |

 
जीवन के संघर्ष आप सब घर में रखकर जाइये,
ड्यूटी  के  दौरान  कभी  न  उनको  दोहराइये |

 
कर्म तुम्हारा धर्म, उसे तुम पस्त न होने दीजिये,
अपने अपने कामों को तरजीह पहले दीजिये |

 
पीछे  भी गाड़ी  है  उसको  आप मत सोचिये,
संरक्षा पालन पर केवल ध्यान अपना दीजिये |

 
समय  बद्धता की ख़ातिर  ना रेल को  दौड़ाइए,
संरक्षा से सुखद सफ़र की ख़ातिर इसे चलाइये |

 
मेरे  इस  निवेदन  को  उपदेश  मत  जानिये,
आपका  हूँ  मैं  भी मेरी बात मान लीजिये | 

1 comment:

jeyakaran m a said...

Hi, Ashok....

Very nice poem...

Keep it up...